
“गली गली कुडा,हर शहर कुडा,आजकल कागजों पर तो नही रह गयी परियोजना,”…..? जिल्हा प्रतिनिधी:-डॉ.पंजाबराव खाडे.8806356595. गौरमतलब यह है सरकार द्वारा जाहिरात पर करोडो रुपयो खर्च करके हजारो,करोडो रूपये पुरस्कार बांटे,पर क्या सफल हुवा अभियान,या राजकीय हेतु पुरस्कृत था यह अभियान.? देश मे बेरोजगारी का स्पोट होने जा रहा है। पर ना नोकरी मिल रही है। ? या ऋण शहर तो देश के नवजवान परेशान है। शहर तो शहर देहात मे अधिक भयावह परिस्थिती है। कुछ नवजवान बेरोजगारी के कारण नशेडी बने हैऐ। कुछ आत्महत्या कर रहे है। कुछ आत्महत्या करने के कगार पर है। क्या जो पैसा जाहीरात मे जाता है। ऊस रक्कम से नवजवानोकी जिंदगी सवारी नही जा सकती। ?यह समाज के हर टपकेसे आवाज उठ रही है। सरकारे बदली है। कुछ तो होगा। ईस आंसमे थे ,पर क्या भारत की नवजवान पिढी को बचाया नही जा सकता है। ?….!